क्या होता है Angel Tax? ये Startups के लिए है फायदे वाला या है नुकसान की वजह
Angel Tax को साल 2012 में लागू किया गया था. यह उन अनलिस्टेड बिजनेस पर लागू होता है, जो एंजेल निवेशकों से फंडिंग हासिल करते हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में डिटेल में.
भारत में पिछले 2 दशकों में तेजी से स्टार्टअप (Startup) कल्चर बढ़ा है. सरकार भी समझ चुकी है कि इकनॉमिक ग्रोथ के लिए स्टार्टअप कितने अहम हैं. यही वजह है कि स्टार्टअप इंडिया (Startup India) की शुरुआत की गई और स्टार्टअप्स को तमाम तरह की सहूलियतें दी जा रही हैं. इन सब के बीच अभी तक Angel Tax का मामला जस का तस है. आइए जानते हैं क्या है Angel Tax और इससे क्या होता है नुकसान.
क्या है Angel Tax?
Angel Tax को साल 2012 में लागू किया गया था. यह उन अनलिस्टेड बिजनेस पर लागू होता है, जो एंजेल निवेशकों से फंडिंग हासिल करते हैं. जब किसी स्टार्टअप को किसी एंजेल निवेशक से फंड हासिल होता है, तो उसे इस पर टैक्स चुकाना पड़ता है. आयकर अधिनियम 1961 की धारा 56 (2) (vii) (b) के तहत स्टार्टअप को Angel Tax चुकाना पड़ता है. असली दिक्कत तो तब होती है जब किसी स्टार्टअप को मिलने वाला इन्वेस्टमेंट उसकी Fair Market Value (FMV) से भी अधिक हो जाता है. ऐसी हालत में स्टार्टअप को 30.9 फीसदी टैक्स चुकाना पड़ता है.
क्यों लाया गया Angel Tax?
सरकार की तरफ से इस टैक्स को मनी लॉन्ड्रिंग रोकने के लिए लागू किया गया था. साथ ही इसकी मदद से तमाम बिजनेस को टैक्स के दायरे में लाने की कोशिश की गई.
तो क्या शुरुआती स्टेज के स्टार्टअप्स के लिए नुकसानदायक है ये टैक्स?
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स्टार्टअप्स को angel tax की वजह से बहुत सी दिक्कतें होती हैं. आइए जानते हैं उनके बारे में.
बिजनेस बढ़ाने में दिक्कत
जब भी कोई फाउंडर अपने स्टार्टअप का बिजनेस बढ़ाना चाहता है तो उसे फंड की जरूरत होती है. इसके लिए एंजेल निवेशकों से पैसे जुटाना एक अच्छी प्रैक्टिस होती है. हालांकि, जब भी कोई फाउंडर किसी एंजेल निवेशक से पैसे जुटाता है तो उसे टैक्स चुकाना पड़ता है. वहीं अगर स्टार्टअप की FMV से ज्यादा निवेश मिला तो टैक्स 30.9 फीसदी लगता है. ऐसे में स्टार्टअप जितना कमाता नहीं है, उससे ज्यादा तो वह टैक्स चुका देता है.
फंडिंग में दिक्कत
अमीर लोग और एंजेल निवेशक इस भारी भरकम एंजेल टैक्स की वजह से कई बार स्टार्टअप में निवेश करने से कतराते हैं. इससे आंत्रप्रेन्योर्स को फंड की दिक्कत हो सकती है.
आसान नहीं सही FMV बता पाना
किसी स्टार्टअप की बिल्कुल सही FMV बता पाना आसान नहीं है, खासकर उस स्टार्टअप के शुरुआती दिनों में. ऐसे में टैक्स अथॉरिटीज के साथ अक्सर डिस्प्यूट भी हो जाते हैं. कई बार असेसमेंट लंबा खिंच जाता है, जिससे बेकार का बोझ स्टार्टअप पर आ जाता है. इसकी वजह से कई भारतीय स्टार्टअप्स को ग्लोबल लेवल की कंपनियों से टक्कर भी नहीं ले पाते हैं.
07:15 PM IST